Tuesday, April 20, 2010

जब नींद नहीं आती होगी! If you can understand it...

जब नींद नहीं आती होगी!

क्या तुम भी सुधि से थके प्राण ले-लेकर अकुलाती होगी!
जब नींद नहीं आती होगी!
दिनभर के कार्य-भार से थक जाता होगा जूही-सा तन,
श्रम से कुम्हला जाता होगा मृदु कोकाबेली-सा आनन।
लेकर तन-मन की श्रांति पड़ी होगी जब शय्या पर चंचल,
किस मर्म-वेदना से क्रंदन करता होगा प्रति रोम विकल
आँखों के अम्बर से धीरे-से ओस ढुलक जाती होगी!
जब नींद नहीं आती होगी!
जैसे घर में दीपक न जले ले वैसा अंधकार तन में,
अमराई में बोले न पिकी ले वैसा सूनापन मन में,
साथी की डूब रही नौका जो खड़ा देखता हो तट पर -
उसकी-सी लिये विवशता तुम रह-रह जलती होगी कातर।
तुम जाग रही होगी पर जैसे दुनिया सो जाती होगी!
जब नींद नहीं आती होगी!
हो छलक उठी निर्जन में काली रात अवश ज्यों अनजाने,
छाया होगा वैसा ही भयकारी उजड़ापन सिरहाने,
जीवन का सपना टूट गया - छूटा अरमानों का सहचर,
अब शेष नहीं होगी प्राणों की क्षुब्ध रुलाई जीवन भर!
क्यों सोच यही तुम चिंताकुल अपने से भय खाती होगी?
जब नींद नहीं आती होगी!



- रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'

1 comment: